importance of money in hindi |
नमस्कार दोस्तों- तेजी से बदलते वैश्विक वातावरण में धन की महत्ता का आकर्षण बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है, यह एक ऐसा पदार्थ अथवा वस्तु है जिसके पीछे समस्त मानव जाति आजीवन लगी रहती है, सृष्टि के निर्माण से लेकर पुरातन काल और पुरातन काल से लेकर आधुनिक काल हर जगह विनिमय के माध्यम अथवा क्रय विक्रय हेतु इसका प्रयोग किया जाता रहा है.
प्रसिद्ध तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने पैसे पर ही कहा है कि मनुष्य अपना स्वास्थ्य व समय दोनों ही बर्बाद करके पैसा कमाता है, फिर स्वास्थ्य में ही उसी पैसे को खर्च कर देता है. तो इससे स्पष्ट है कि धन का आकर्षण वर्तमान में चरम उत्कर्ष पर है और आज के इस पोस्ट में हम बात करेंगे की जीवन में पैसे का क्या महत्व है? क्या दुनिया में पैसा ही सब कुछ है? क्या पैसा जीवन के लिए सबसे उपयोगी है? तो चलिए दोस्तों सबसे पहले जानते हैं paisa kya hai/ paise ka mahatva और हमारे दैनिक जीवन में पैसे का महत्व कितना है
पैसा क्या है/हमारे दैनिक जीवन में पैसे का महत्व (importance of money in life in hindi)
जिस प्रकार व्यक्ति को किसी कार्य को संपादित करने हेतु ऊर्जा की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार हमें अपने जीवन को चलाने हेतु की धनराशि ऊर्जा की आवश्यकता होती है, वर्तमान परिदृश्य में मानव जाति का हर वर्ग अपनी जरूरतों ही तो पैसे के अर्जुन पर केंद्रित है, अर्थात पैसा सर्वाहर वर्ग हेतु अति आकर्षित वस्तु है
धन के बारे में कहावत है जो अति प्रचलित है की "पैसा खुदा तो नहीं पर खुदा से भी कम है" गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि कलयुग में पैसे को देव तुल्य समझा जाएगा और तो और वर्तमान में पैसे की प्रासंगिकता तो इस चरम सीमा तक बरकरार है कि हम पैसे के आगे पारिवारिक सीमाओं स्नेहों को भी भूल जाते हैं जैसा कि कहा गया है कि "बाप बड़ा ना भैया सबसे बड़ा रुपैया"
धन के बारे में आचार्य चाणक्य कहते हैं की
यस्यार्थस्तस्य मित्राणि यस्यार्थस्तस्य बान्धवाः ॥
यस्यार्थः स पुमांल्लोके यस्यार्थः स च जीवति ॥
अर्थात "जिस व्यक्ति के पास धन वा सम्पदा है हर कोई उसका मित्र और सम्बन्धी होना चाहता है| परन्तु जिसके पास धन नहीं होता उसके अपने मित्र और सगे सम्बन्धी भी उससे दुरी बनाए रखते हैं"
हमारे वेदों में मानव जाति के कल्याण हेतु मुख्यता; चार आयामों धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष पर भी ध्यान केंद्रित कराया गया है
धनार्जन से उत्पन्न दोष अथवा हानियां/अत्याधिक पैसे के मोह से होने वाली हानियां
जैसा की हम सब जानते है की पैसा बुराई लत है पर इसके बिना जीवन गुजर भी नहीं हो सकता परन्तु बहुत सारे लोग जो धन के पात्र नहीं होते हैं अगर गलती से भी धनार्जन उन्हें पर्याप्त मात्रा में हो जाता है तो उनमें घमंड आ जाता है और वह अनैतिक कार्यों में संलग्न हो जाते हैं, अधिक मात्रा में धनार्जन विनाश का कारण बन जाता है
यदि उसका अनैतिक कार्य ज्यादा होने लगता है उस व्यक्ति में घमंड, दुराचार, धूम्रपान, मदिरापान आदि जैसे प्रमुख दुर्गुण मानव जीवन के अंदर प्रवेश कर जाते हैं, जिसकी उनको भनक भी नहीं लगती है
आजकल बिखरता समाज, परिवार, हित, मित्र व सगे संबंधी आदि के केंद्र में कहीं ना कहीं पैसे की प्रधानता है, धनार्जन के साए में आकर मनुष्य अतिलोभी व स्वार्थी दोनों ही हो जाता है, स्वामी विवेकानंद जी जैसे महापुरुष ने पैसे के दुर्गुणता पर सभी का ध्यान केंद्रित किया है और कहा है कि. यदि धन का प्रयोग पर हित में नहीं किया जाता है तो यह एक दुर्गुणता का बड़ा ढेर वर् जाता है.
पैसों का सदुपयोग कैसे किया जाए
दोस्तों आइए अब जानते हैं कि हम लोग पैसे का सही इस्तेमाल कैसे कर सकते हैं. हमारे हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार पैसे (धन) की तीन गतियों का उल्लेख किया गया है
1. भोग
2. दान
3. विनाश
भोग की गतियों में मनुष्य के बेहतर व उत्तम जीवन जीने हेतु धन का होना जरूरी है, जिसमें मनुष्य अपनी जरूरत की चीजों का उपयोग कर सकता है
दान की गति के अनुसार मनुष्य को अपने आय का कुछ हिस्सा दान दे देना चाहिए जिससे परहित भी सिद्ध होगा तथा शास्त्रों के अनुसार मनुष्य अगले जन्म में किसी भी योनी में जन्म लेने के बावजूद भी सुखी रह सकता है
धन की तीसरी गति विनाश में उल्लिखित है कि मनुष्य जो कि दान देने में भी कतराता है जो स्वयं खुद पर खर्च करने से भी कतराते है व करारोपण आदि से कतराते है जो धन को साथ में लिए रहता है उसे अपने धन के गुम हो जाने या भय चोरी हो जाने का भय उसके मन में हमेशा स्थापित रहता है, जो कहीं ना कहीं दुख का एक बड़ा कारण है और यही विस्तृत होकर कहीं ना कहीं विनाश का कारण भी बन जाता है